छत्तीसगढ़

STATE TODAY|छत्तीसगढ़ के इस जिले में रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करते 2 आरोपी गिरफ्तार

दुर्ग/छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के भिलाई में रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करते 2 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है.इसमें से एक खुद को जगदलपुर मेडिकल कॉलेज का डॉक्टर बता रहा है. इंजेक्शन की कालाबाजारी की सूचना पर खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग के अधिकारी स्वयं ग्राहक बनकर पहुंचे और आरोपियों को गिरफ्तार किया.दोनों के पास से चार नग वैक्सीन जब्त की गई है.बताया जा रहा है कि रेमडेसिविर की कालाबाजारी करते पकड़े जाने का यह प्रदेश में पहला मामला है.

बताया जा रहा है कि खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग दुर्ग की टीम को भिलाई के आकाश गंगा सुपेला क्षेत्र में रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी की सूचना मिली. इसके बाद आरोपियों के पास अधिकारी पहुंचे.घटना बीते शुक्रवार की शाम करीब सात बजे की है. खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग दुर्ग के निरीक्षक ब्रजराज सिंह ने बताया कि विभाग को सूचना मिली थी कि आकाश गंगा सुपेला क्षेत्र में कुछ लोग रेमडेसिविर वैक्सीन की कालाबाजारी कर रहे हैं.

अफसरों ने किया संपर्क

सूचना पर खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग के अधिकारी ने ग्राहक बनकर उक्त व्यक्तियों से संपर्क किया. कालाबाजारी करने वालों ने एक वैक्सीन को 13,000 रुपये में बेचने की बात कही. जबकि बाजार में एक वैक्सीन की कीमत 4,800 रुपये है.कुलेश्वर से सौदा तय होने पर उससे अफसरों ने दो इंजेक्शन 26 हजार रुपये में खरीदा.उसे रंगे हाथ पकड़ने के बाद जब अफसरों ने उससे पूछताछ की तो कुलेश्वर ने बताया कि कुछ दूरी पर खड़े पीयूष शुक्ला ने उसे यह इंजेक्शन दिया.अफसरों ने पीयूष को पकड़ा तो उसके पास से दो इंजेक्शन और मिले.पीयूष का कहना था कि उसने यह इंजेक्शन अपने पिता के लिए खरीदा था। चार इंजेक्शन बच गया था उसे ही बेच रहा था.दोनों आरोपी बजरंग पारा कोहका क्षेत्र के रहने वाले हैं.पीयूष शुक्ला स्वयं को जगदलपुर मेडिकल कालेज का डाक्टर बता रहा है. मामले में खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग द्वारा दोनों व्यक्तियों के खिलाफ ड्रग अधिनियम के तहत कार्रवाई की जा रही है.

सोशल मीडिया में देखकर कर रहे थे संपर्क

आरोपियों ने बताया कि कई लोग अपने परिवार के संक्रमित व्यक्ति के लिए रेमडेसिविऱ वैक्सीन की जरूरत होना बताते हुए सोशल मीडिया में पोस्ट कर रहे थे,जिसमें यह पूछ रहे थे कि वैक्सीन कहां मिल सकती है.आरोपी वैक्सीन के जरूरतमंद लोगों के मोबाइल नंबर पर फोन कर उनसे संपर्क भी करते थे. विभागीय अधिकारी इनसे यह भी जानने का प्रयास कर रहे हैं कि आरोपियों ने किसी को वैक्सीन बेची तो नहीं है.हालांकि इस संबंध में आरोपित किसी भी तरह की जानकारी नहीं दे रहे हैं.

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