कोरबा: वो रोती रही…गिड़गिड़ाती रही..उन जालिमों के सामने रहम की भीख मांगती रही… पर उन शैतानों ने उसके रूदन को चीखों में बदल दिया। उसकी मासूम बच्ची और पिता के सामने पहले उसका सामूहिक बलात्कार किया फिर उसे मारने के लिए पत्थरों से कुचल डाला। यही नहीं उसकी मासूम बेटी और पिता की भी हत्या कर दी। पर नियति को कुछ और मंजूर था,वह इतनी दंरिदंगी के बाद भी जिंदा रही और 96 घंटे तक मौत के साथ संघर्ष करने के बाद आखिरकार उस आदिवासी बाला की मौत हो गयी।
दरअसल लेमरू जंगल में पुलिस को लाश मिलने की सूचना मिली थी। जब पुलिस मौके पर पहुंची तो वहां पर 55 साल के व्यक्ति की लाश थी। वहीं कुछ दूर पर चार साल की नतिनी का भी शव था। जब पुलिस दोनों लाशों को ले जा रही थी तभी उन्हें कराहने की आवाज सुनाई दी। जब पुलिस ने आस-पास छानबीन की तो उन्हें पत्थरों के बीच उन्हें युवती बेहद बुरी हालत में मिली। युवती की सांसे चल रही थी। पर रास्ते में बच्ची ने दम तोड़ दिया। पहले पुलिस को यह आपसी दुश्मनी का मामला लगा लेकिन बाद में यह सामूहिक दुष्कर्म का पता चला।
पुलिस सूत्रों की माने तो युवती के साथ सामूहिक दुष्कर्म उसके पिता और मासूम बच्ची के सामने ही किया गया। फिर उसे मारने के लिए जंगलों में पत्थरों के बीच दबा दिया गया। पुलिस ने इस मामले में सतरेंगा के संतराम यादव, अब्दुला जब्बार, अनिल सारथी, परदेशी राम, अनंद दास और उमाशंकर यादव को हिरासत में ले लिया है। सभी आरोपियों की उम्र 18 से 20 साल के आसपास है। पुलिस का कहना है कि सभी आरोपियों ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया है। पुलिस अभी पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार कर रही है।