छत्तीसगढ़

प्रदेश सरकार ने 2 साल में लिया 30 हजार करोड़ का कर्ज,जानिए आने वाले समय में और कितना लोन लेगी भूपेश सरकार

रायपुर/छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार की तिजोरी पर कर्ज भारी पड़ता दिखाई दे रहा है. स्थिति यह हैं कि लगभग हर महीने भूपेश सरकार पर कर्ज बढ़ता जा रहा है. सरकारी आंकड़ों पर गौर करे तो भूपेश सरकार ने अब तक 30 हजार करोड़ से अधिक का ऋण लिया है और अब नए वित्तिय वर्ष के लिए 18 हजार करोड़ का ऋण प्रस्तावित किया है.
किसी भी राज्य के लिए विकास तभी संभव है जब उसकी आर्थिक स्थिति बेहतर हो. राज्य अपने मद से साधन-संसाधन जुटाने में सक्षम हो. मगर छत्तीसगढ के भूपेश सरकार की कहानी कुछ दूसरी है. राज्य सरकार की आर्थिक स्थिति कुछ ऐसी हैं कि सरकार औसतन हर माह कर्ज लेना पड़ रहा है, जिससे राज्य पर कर्ज का बोझ दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रहा है. सरकारी आंकड़ों की माने तो राज्य की भूपेश सरकार ने नवंबर 2020 की स्थिति में कुल 30 हजार 632 करोड़ रुपए का ऋण लिया है और साल 2019-20 में कर्ज के ब्याज के रूप में 4 हजार 225 करोड़ रुपए पटाएं है.
बात अगर नए वित्तिय वर्ष की करें तो वित्त विभाग में पदस्त सूत्रों की माने तो राज्य सरकार ने नए वित्तीय वर्ष में 18000 करोड़ रुपए ऋण लेने का प्रस्ताव तैयार किया है, जिस पर सूबे के वरिष्ठ मंत्री और प्रवक्ता रविंद्र चौबे ने कहा कि केंद्र हमारा पैसा रोक रही है. हमें खर्च करने के लिए ऋण लेना पड़ेगा.

भूपेश सरकार को 41695 करोड़ का कर्ज विरासत में मिला था

अब केंद्र सरकार के कारण राज्य सरकार कर्ज ले रही है या फिर वित्तिय प्रबंधन में कुछ कमी है यह तो आना वाला वक्त ही तय करेगा. मगर बात कर्ज के आकड़ों को करें तो भूपेश सरकार को 41695 करोड़ का कर्ज विरासत में मिला था. भूपेश सरकार ने 21 माह में 30 हजार 632 करोड़ रुपए कर्ज लिया. साल 2019-20 में राज्य को बतौर ब्याज 4225 करोड़ रुपए चुकाना पड़ा. राज्य पर कुल कर्ज 66 हजार 968 करोड़ का है. केंद्र से राज्य को 13 हजार 440 करोड़ रुपए मिलने हैं. नए वित्तिय वर्ष में राज्य सरकार ने 18000 करोड़ कर्ज लेने का प्रस्ताव तैयार किया.
आंकड़ों के बाद जानकारों की माने तो राज्य पर कर्ज का बढ़ता बोझ,घटती हुई प्रति व्यक्ति आय, दोगुनी वित्तीय घाटा चौतरफा चोट दे रही है. आंकड़ों की माने तो बीते वर्ष वित्तीय घाटे के रूप में 11 हजार 518 करोड़ रुपए अनुमानित था मगर वास्‍तव‍िक घाटा करीब 23 हजार करोड़ रुपए का हुआ, जिससे राज्य की स्थिति और गड़बड़ हो गई. अब स्थिति यह हैं कि इस साल के प्रस्तावित कर्ज के साथ भूपेश सरकार अपने कार्यकाल में करीब 50 हजार करोड़ रुपए का कर्जा लेगी. इससे आने वाले कई सालों तक सरकारों को चुकाना पड़ेगा.
बहरहाल, राज्य सरकार द्वारा अधिक कर्ज लेने के लिए जानकार सरकार को ही जिम्मेदार मानते हैं कि क्योंकि राज्य सरकार ने राजकोषीय उत्तरदायित्व कानून में बदलाव कर अपने जीएसडीपी का पांच फीसदी तक कर्ज ले रही है, जो पूर्व में तीन फीसदी निर्धारित था और इसके लिए राज्य सरकार कोरोना काल को जिम्मेदार मान रही है. कर्ज के इन तमाम बातों के बीच बात अगर राजनीतिक करें तो विपक्ष इस स्थिति के लिए सरकार के वित्तीय प्रबंधन को कुप्रबंधन बता रही है, तो वहीं सत्तापक्ष राज्य के बदले केंद्र को नसीहत देने का दलील दे रही है
राज्य की व्यवस्था हो या फिर आपका और हमारा घर,जानकार यहीं मानते हैं कि कर्ज हमेशा से घातक रहा है. मगर जिस तेज गति से राज्य सरकार अपने वादों को पूरा करने कर्ज पर कर्ज लेते जा रही है. आने वाले समय में यह दुखद परिणाम ही देगा, क्योंकि राज्य के राजस्व का एक बड़ा हिस्सा कर्ज का ब्याज चुकाने में ही खर्च हो जाएगा.

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