मुंगेली/ कागज में नाली निर्माण कर किये गए भुगतान मामले में सिटी कोतवाली में नपा अध्यक्ष सहित 6 लोगों के विरुद्ध अपराध पंजीबद्ध किया गया था जिसमें आईपीसी की धारा 420, 34 के तहत मामला दर्ज किया गया था, मामले में बयान के बाद एवं विवेचना के दौरान आरोपियों के विरुद्ध आईपीसी की धारा 120(B), 409, 467,468 और 471 जोड़ा गया। नाली निर्माण में किये गए धांधली और भ्रष्टाचार की शिकायत जनप्रतिनिधियों द्वारा मुंगेली कलेक्टर से किया गया था, जिसके बाद कलेक्टर द्वारा SDM को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया, SDM द्वारा मामले की सूक्ष्मता से जांच किया और अंतरिम और अंतिम रिपोर्ट कलेक्टर को प्रेषित किया गया, जांच रिपोर्ट में नाली निर्माण हुए बिना राशि आहरित किये जाने की पुष्टि हुई, भ्रष्टाचार होना पाया गया।
जिसके बाद कलेक्टर ने दिनांक 20.07.2021 को CMO को लिखित आदेश देते हुए भ्रष्टाचार में संलिप्त नगर पालिका अध्यक्ष संतुलाल सोनकर तत्कालीन सीएमओ विकास पाटले, जोयस तिग्गा, सियाराम साहू, आंनद निषाद, सोफिया कंट्रक्शन के प्रोपाइटर ठेकेदार सहित 6 लोगों के खिलाफ थाने में आपराधिक प्रकरण दर्ज करने कहा गया। कलेक्टर द्वारा CMO को उक्त मामलें में FIR दर्ज करने जो आदेश दिया गया था कलेक्टर के इस आदेश को नपा अध्यक्ष संतुलाल सोनकर द्वारा आर्टिकल 226 के तहत हाईकोर्ट में चुनौती दी गई जिसमें हाईकोर्ट ने दिनांक 02.08.2021 को संतुलाल सोनकर की याचिका खारिज कर दी गई।
मामले के आरोपी संतुलाल सोनकर, सियाराम साहू और सोफिया कंस्ट्रक्शन के ठेकेदार वसीम खान द्वारा मुंगेली जिला एवं सत्र न्यायालय में अग्रिम जमानत आवेदन अधिवक्ता के माध्यम किया गया, अग्रिम जमानत पर दिनांक 07.08.2021 को अपर जिला एवं सत्र न्यायालय में लंबी बहस हुई, बहस सुनने के उपरांत अपर जिला एवं सत्र न्यायालय ने अग्रिम जमानत पर फैसला आगामी तिथि के लिए सुरक्षित रखा था, जिस पर आज दिनांक 09.08.2021 को नाली भ्रष्टाचार पर अपना फैसला देते हुए अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रबोध टोप्पो ने मामले के आरोपी नपा अध्यक्ष संतुलाल सोनकर, तत्कालीन लिपिक सियाराम साहू और सोफिया कंस्ट्रक्शन के संचालक ठेकेदार वसीम खान की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी। मामलें में अतिरिक्त लोक अभियोजक स्वतंत्र तिवारी ने शासन की ओर से पैरवी की।
न्यायालय ने यह कहा निर्णय में –
न्यायालय ने यह कहा निर्णय में – मामले में जिला एवं अपर सत्र न्यायालय ने अपने निर्णय में कहा कि अभियुक्तगणों के विरुद्ध धारा 420,120 (B), 409,467,468,471 IPC के अंतर्गत सहअभियुक्तगण के साथ मिलकर लगभग 300 मीटर नाली निर्माण में वित्तीय अनियमितता कूटरचित दस्तावेज तैयार कर 13 लाख इक्कीस हजार आठ सौ अट्ठारह रुपये का शासकीय रकम अध्यक्ष एवं अन्य के जिम्मेदार पद में पदस्थ होते हुए भी उक्त रकम गबन कर धोखाधड़ी करने का आरोप हैं जो कि एक गंभीर प्रकृति का अपराध हैं, मामला विवेचना स्तर पर है, न्यायालय ने यह माना कि यदि अभियुक्तगणों को जमानत का लाभ दिया जाता हैं तो वे प्रार्थी एवं साक्षियों को प्रभावित कर सकते हैं।
अतः प्रकरण के समस्त तथ्यों एवं परिस्थितियों पर विचार करते हुए अभियुक्तगणों की प्रथम अग्रिम जमानत खारिज की गई।