STATE TODAY|BEMETARA:कोराना फिर बना बस मालिकों के लिए जी का जंजाल
कोविड-19 एक बार फिर बस वाहन चालकों के लिए जी का जंजाल बन गया है
जिसके चलते ना तो वे अपने वाहन को खड़े कर सकते और न ही वाहन को चला पा रहे हैं
इस तरह इन दिनों यात्री वाहन मालिकों के लिए कोविड-19 सांप छछूंदर जैसे हो गया है ना तो निगलते बन रहा है और ना ही उगलते बन रहा है
संजू जैन
बेमेतरा:कोविड-19 एक बार फिर बस वाहन चालकों के लिए जी का जंजाल बन गया है, जिसके चलते ना तो वे अपने वाहन को खड़े कर सकते और न ही वाहन को चला पा रहे हैं। इस तरह इन दिनों यात्री वाहन मालिकों के लिए कोविड-19 सांप छछूंदर जैसे हो गया है ना तो निगलते बन रहा है और ना ही उगलते बन रहा है।
बीते साल 22 मार्च 2020 से यात्री बस मालिकों केलिए कोविड 19 जो संकट का छाया बनकर आया है। एक साल गुजर जाने केबाद भी अभी तक जस का तस स्थिति बनी हुई है, जिसके कारण उन्हें आर्थिक मानसिक रूप से परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। वहीं, इस व्यवसाय से जुड़े अन्य वाहन चालक वाहन परिचालक व अन्य लोग भी इन दिनों परेशानी के दौर से गुजर रहे हैं।
इस संबंध में वाहन चालकों से मिली जानकारी के मुताबिक पिछले साल 22 मार्च से कोरोना वायरस के कारण लाकडाउन का जो दौर शुरू हुआ था वह कई महीने तक चला, उसके बाद यात्री वाहन को चालू किया गया, जिसकेबारे में वाहन मालिकों का कहना है कि एक यात्री बस कई महीने से बंद पड़े थे, जिसे फिर से चालू करने में लगभग एक से डेढ़ लाख रुपये का खर्च एक वाहन में आया है, जिसमें वाहनों के टायर, बैटरी को नया लगाया गया। वहीं, वाहनों की बीमा राशि के भुगतान करने तथा कई महीने तक का वाहन नहीं चलने के कारण रोड टैक्स नहीं दिया गया था जिसे फिर से पटाकर प्रारंभ करना पड़ा है। इस तरह लगभग एक से डेढ़ लाख का खर्च एक बस में आया था और उसके बाद भी बीते 10 महीने होने को है किंतु अभी तक ग्रामीण क्षेत्र में यात्री बसों का परिचालन सुचारू रूप से नहीं हो पाया है और इसी बीच फिर एक बार फिर लाकडाउन केचलते यात्री बस मालिकों को अपने बस को यात्री नहीं मिलने के कारण मजबूरी में फिर एक बार बंद करने के लिए मजबूर हो गए हैं।
कई वाहन एक-डेढ़ महीने तक खाली चले
इस संबंध में और विस्तार से जानकारी देते हुए स्थानीय निजी बस संचालक जयश्री ट्रैवल्स के ललित विश्वकर्मा, दीप ट्रैवल्स के रमेश तिवारी, अंबे ट्रेवल्स के आनंद साहू ने बताया कि बीते साल लाकडाउन के बाद यात्री बस वाहन शुरू किया गया तो उस समय लोगों की जानकारी नहीं थी, इसलिए एक डेढ़ महीने तक यात्रियों को वाहन चलने की जानकारी देने के लिए खाली वाहन को चलाना पड़ा था। बाद में जैसे तैसे वाहन पटरी पर चलना जैसे ही शुरू हुआ और कुछ दिनों तक यात्री बस चलना शुरू किया गया था, परंतु इसी बीच इस साल एक बार फिर यात्री बस वाहन मालिकों और चालकों लिए कोविड 19 एक बार फिर परेशानी का सबब बन गया और वाहन को फिर से चलाना बंद करते हुए खड़ा करना पड़ गया।
वाहन मालिकों को सरकार से नहीं मिली राहत
वाहन मालिकों ने बताया कि छत्तीसगढ़ सरकार से यात्री वाहन मालिकों को कोई पर्याप्त राहत नहीं मिल पाया, जबकि पंजाब जैसे राज्य में एक साल का टैक्स राज्य सरकार द्वारा माफ किया गया था। इसके विपरीत छत्तीसगढ़ सरकार ने मात्र तीन महीने का का टैक्स माफ किया था। इसी कारण कई वाहन मालिक अभी भी वाहन के पुराने बकाया टैक्स को जमा नहीं कर पा रहे हैं। वहीं, दूसरी तरफ कई यात्री बसें फाइनेंस से खरीदी गई थी, किंतु लाकडाउन होने केबाद वाहन यात्री बस वाहन का फाइनेंस कंपनी को रकम का भुगतान नहीं किया जा सका था और लाकडाउन केबाद यात्री बसें चलनी प्रारंभ होने के बाद भी इतनी पर्याप्त सवारी यात्री बस में नहीं मिले पा रहे थे, जिसके कारण कई वाहन मालिक अभी भी फाइनेंस कंपनी की बकाया राशि का भुगतान नहीं कर पाए हैं। इसलिए कई बार वाहन फाइनेंस कंपनी द्वारा यात्री वाहन को उठाकर ले जाने की धमकी का भी सामना करना पड़ता है। इस संबंध में यात्री बस केमालिकों ने शासन से आग्रह किया है कि यात्री बस केसमस्त टैक्स को राज्य सरकार माफ करें, ताकि यात्री बस का सुचारू रूप से संचालन किया जा सके।