STATE TODAY|बेमेतरा जिले का नाम हुआ रौशन देवकर की बेटी 22 साल की श्रद्धा सुराना ने ली दीक्षा,सांसारिक मोह व सुख त्यागकर बनी नगर की पहली जैन साध्वी
सुश्री श्रद्धा सुराना बनी साध्वी श्रेष्ठता श्री जी
पांच महाव्रत धारण कर किया संयमी जीवन अंगीकार
संजू जैन
बेमेतरा (देवकर):बेमेतरा जिले का नाम एक बार फिर.हुआ रौशन
नगर पंचायत देवकर के एवं जैन समाज की लड़की सुश्री श्रद्धा जैन दो मई 2021 रविवार सुबह साढ़े ग्यारह बजे ढाई साल की वैराग्य काल मे जैन दीक्षा लेकर नगर की जैन समाज की पहली साध्वी बन गयी है
आमतौर पर लड़का हो या लड़की, ख्वाहिश होती है कि ज़िंदगी ऐशोआराम वाली हो, घर, गाड़ी, बढ़िया नौकरी, घूमना-फिरना हो।लेकिन इसके उलट देवकर साध्वी बनने से पूवॆ दुल्हन कीजैन समाज में पहली बार 21साल की एक लड़की ने दुनिया का मोह-माया का त्याग एवं दुनिया की चकाचौंध व चमक- धमक छोड़ सफ़ेद कपड़े धारण करते वैराग्य की राह पर चलते हुए अध्यात्म की राह पकड़ ली।
दरअसल देवकर नगर में काफी तादाद में जैन समुदाय के अनुयायी निवास करते है।वही जैन समाज के समस्त पर्व व कार्यक्रम को पूरी हर्षोल्लास के साथ समुदाय के लोगों द्वारा मनाया जाता है।इसी दरमियान लॉकडाउन के इस दौर में 21 साल की श्रद्धा कुछ समय पूर्व में ही सांसारिक मोहमाया छोड़ दीक्षा लेकर साध्वी बनने का फैसला लिया था।फलत: कल परम श्रध्देय आचार्य प्रवर 1008 श्री विजयराज जी म.सा. की सुशिष्या विदुषी महासती- श्री प्रभावती जी.म.सा के द्वारा पुरी विधी पूवॆक दीक्षा दी गई एव उनका नाम करण किया गया अब श्रद्धा को नया नाम साध्वी श्रेष्ठता नाम मिला है।देवकर के जैन भवन में इस दौरान लॉक डाउन के प्रोटोकॉल का पालन करते हुए सीमित संख्या में परिजन, समाज के लोग व साध्वियां मौजूद रहीं।
शिक्षित व सम्पन्न परिवार से है श्रद्धा का ताल्लुक
गौरतलब हो कि मूलतः देवकर की जन्मी श्रद्धा सुराणा नगर की प्रतिष्ठित सुराणा परिवार से ताल्लुक रखती है।उनके पिता पारसमल जी सुराणा व माता रेशमी बाई जी सुराणा है।साथ ही घर में दो भाई व एक बहन सहित बड़ा परिवार है।इसके अलावा श्रद्धा बीएससी की प्रथम वर्ष की छात्रा रही है।कई क्षेत्रों में उनकी रुचि रही है।लेकिन उन्होंने सब कुछ छोड़ अध्यात्म को चुन ली है।जिससे अब सभी खुश हैं।
साध्वी बनने से पूवॆ दुल्हन की तरह सजी हुई थी जैन समाज ने किया अभिनन्दन
चूंकि जैन समाज के रिवाज के मुताबिक कुमारी श्रद्धा साध्वी बनने से पहले दुल्हन की तरह सजी, आकर्षक जेवर पहन हाथों में मेहंदी लगाई। जिसमें वह पारंपरिक साड़ी पहनकर आई थी जिसेके बाद सफ़ेद वस्त्र धारण कर लिए।इस दौरान उन्होंने अपना बाल भी त्याग दिए।उन्होंने इससे पहले अपना मनपसंद खाना खाया एवं अपने परिवार के साथ समय बिताया।जिसके बाद शुश्री-श्रद्धा सुराणा अब साध्वी मासा. श्रेष्ठता बन गयी।
संयम जीवन अंगीकार कर साधना में लीन होना
बरहहाल दीक्षा के दौरान श्रद्धा ने कहा कि उन्होंने इतनी छोटी उम्र में काफी कुछ सीखा।अब तक अपनी ज़िंदगी में काफी आनंद लिया। लेकिन कहीं भी शांति नहीं मिली।वह शांति चाहती हैं। इसके साथ ही संयम जीवन अंगीकार कर साधना में लीन हो जाना चाहती हैं। उन्होंने कहा कि वह अभिभूत हैं।उनका आत्मविश्वास आसमान छू रहा है।उन्होंने कहा कि मुझे संयम मार्ग पर चलना है।मुझे बेहद अच्छा लग रहा है।
श्रद्धा सुराना की दीक्षा दिवस के अवसर पर कोविड 19 के गाईड लाईन के अनुसार सादगीपूर्ण माहौल मे दीक्षा ग्रहण हुआ इस अवसर पर जैन श्री संघ देवकर के सदस्य गण, महिलायें, एवं परिजन विशेष रूप से उपस्थित थे जो इनके दीक्षा के साक्षी बने।
कोविड19 वैश्विक महामारी एवं जिले में लॉकडाऊन के चलते बाहर
से अन्य जैन समाज के लोग नही पहुंचे थे