STATE TODAY|शासकीय नहर को ब्लास्ट कर अवैध खनन करने वाले क्रेशर पर खनिज विभाग मेहरबान,सीज की खानापूर्ति पर उठ रहे सवाल,आरोप अधिकारी व नेताओं तक जाता है क्रेशर का पैसा
रितिक मेहरा
पत्थलगांव– पत्थलगांव विकासखंड अंतर्गत क्रेशर संचालक मनमानी कर रहे हैं ।यहा के ग्राम पंचायत पंडरीपानी में स्थित एक क्रेशर की मनमानी थमने का नाम ही नहीं ले रहा है यहा ठीक क्रेशर के पीछे स्थित आबादी इलाके में मौजूद एक शासकीय नहर में बारूद लगा कर ब्लास्टिंग किये जाने से लोगों की जानमाल पर खतरा मंडरा रहा है वही लोगो को नहर का लाभ भी नही मिल पा रहा है ,यहां के ग्रामीणों का आरोप है की ब्लास्टिंग कर पत्थर तोड़ने के दौरान धूल भी इतनी उड़ती है कि जिसका सीधा असर लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है।आरोप है की उक्त क्रेशर संचालक द्वारा बगैर किसी वैध कागजात के ही क्रेशर का संचालन किया जा रहा था जिसकी खनिज बिभाग की टीम ने जांच कर उत्खनन को लेकर प्रारंभिक अनियमितता पाए जाने पर एक क्रेशर मशीन को सील किया है लेकिन शासकीय नहर को बारूद ब्लास्टिंग करने के मामले में किसी भी प्रकार की कारवाही नही किया गया।
क्या कहते है अधिकारी
इस मामले में जिला खनिज अधिकारी योगेश साहू ने बताया की माईनिंग इंस्पेक्टर द्वारा सिर्फ क्रेशर सम्बंधित वैध कागजातों की जांच की गयी है जिसका प्रतिवेदन आने पर अग्रिम कारवाही की जायेगी उन्होंने बताया की शासकीय नहर में बारूद ब्लास्टिंग करने की शिकायत या सुचना नही होने की वजह से इस मामले में कोई कारवाही नही किया जा सका है/वही लीज के अलावा अन्य जमीनों पर किये गये अवैध उत्खननन के मामले पर भी खनिज अधिकारी ने किसी भी प्रकार की जानकारी नही होने की बात कही जबकि क्रेशर के ठीक सामने स्थित उपसरपंच फिलिप मिंज की जमींन समेत आसपास क्षेत्र के दर्जनों जमीन पर क्रेशर संचालक द्वारा विस्फोट कर अवैध उत्खनन किया गया है जिसके अवशेष आज भी विधमान है इस मामले पर भी खनिज अधिकारी कारवाई करने की बात कही है
अधिकाँश क्रेशर संचालक कर रहे मनमानी
यही हाल क्षेत्र में संचालित अन्य क्रेशरो में देखा जा सकता है इनके द्वारा स्वीकृत पट्टे से ज्यादा जमीन पर कब्जा कर मनमाने जगहों पर खनन किये जाने की वजह से ग्रामीणों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। पर्यावरण की कीमत पर पत्थरों का अंधाधुंध व्यवसाय होने से क्षेत्र की जनता को आने वाले समय में भारी कीमत चुकानी पड़ेगी ।
बगैर प्रदूषण नियंत्रक यंत्रों के चल रहे क्रेशर,हवा में घुल रही धूल,बीमार हो रहे ग्रामीण
विकासखंड में गिट्टी क्रेशर संचालकों द्वारा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के नियम कायदों को ताक पर रखकर काले पत्थर का कारोबार करने का मामला सामने आया है। जिसमें नियमानुसार परिसर में वृक्षारोपण तो कराना दूर अब तक इन्होंने धूल उड़ने से रोकने के लिए न तो मशीनों की स्क्रीन पर एमएस सीट लगाई है और न ही वाटर स्प्रिंकलर। ऐसे में रोजाना बड़ी तादात में क्रेशरों से निकलने वाली धूल हवा में घुलकर मजदूरों सहित गांव में रहने वाले लोगों की सेहत को खतरा बन रही है। इसके अलावा हर तरफ गहरी खाई और सैकड़ों एकड़ जमीन खुदी पड़ी है जो बड़ी दुर्घटनाये को आमंत्रित करती नजर तो आ ही रही है साथ ही खेती योग्य भूमि बंजर हो रही है। परंतु आज तक खनिज विभाग,वन विभाग,राजस्व विभाग एवं प्रदूषण विभाग ने इस खनिज माफिया को प्रशासन ने खुलेआम अभयदान दे रखा है।
अधिक मात्रा में जमा कच्चा माल
क्षेत्र के अधिकांश क्रेशर प्लांट की दूरी नदी,मन्दिर व आबादी से काफी नजदीकी है अमानक दुरी पर संचालित इस प्लांटो पर न तो हरित पट्टी विकसित किया गया है और ना ही ध्वनि प्रदूषण के मानकों का ध्यान रखा गया है।इसके अलावा खनन सामग्री के विक्रय और लेनदेन की प्रक्रिया को भी पारदर्शी नही रखा गया है। अधिकाँश के पास अनुमति से अधिक कच्चे माल का स्टॉक मौजूद है। संचालकों ने बहुत अधिक मात्रा में कच्चा माल स्टाक किया हुआ है एव स्टाक भण्डार संबंधी कोई रजिस्टर संधारित नही किया जा रहा ।
अधिकारी व नेताओं तक जाता है पैसा
आरोप है की खनिज माफिया खनिज विभाग के कुछ अधिकारियों से अपनी सांठ गांठ कर धड़ल्ले से क्रेशर चला रहा है। सूत्रों के मुताबिक़ क्रेशर संचालको के मनमानी का विरोध करने पर संचालको द्वारा धमकी दी जाती है की उनका प्रति महीने फिक्स राशि स्थानीय अधिकारी से लेकर खनिज व जिले के आला अधिकारी समेत नेताओं तक महीना जाता है हमारा कोई भी कुछ नही कर सकता है आम जनता की भलाई में सरकारी विभाग को टांग अड़ाते सबने देखा होगा, परन्तु जंहा कमीशन का खेल चल रहा हो, वहां भला कैसे कोई विभाग कार्यवाही कर सकता है ये बड़ा सवाल है।