STATE TODAY|पत्थलगांव में छठ पूजा की धूम,बैनर पोस्टर से पटा शहर,भोजपुरी समाज ने की बड़ी तैयारी
रितिक मेहरा,पत्थलगांव— छठ पर्व को लेकर बड़े स्तर पर भोजपुरी समाज ने तैयारी की है जिसके लिए शहर के मुख्य मार्गों पर छठ पूजा के स्वागत के लिए बैनर पोस्टर लगाए गए हैं छठ घाट पर साफ सफाई की व्यवस्था पूरी कर ली गई है नगर पंचायत के कर्मचारियों ने भी घाट को बेहतर बनाने में खासी मेहनत की है । वहीं नगर के पूरन तालाब एवं प्रेमनगर नाले में बड़ी भीड़ को देखते हुए एक दिन पहले से पुलिस गस्ती बढाई गई है वहीं ट्रैफिक कंट्रोल भी पुलिस के लिए चुनौती से कम नही है
गौरतलब है की प्रसिद्ध सूर्य देव की आराधना तथा संतान के सुखी जीवन की कामना के लिये समर्पित छठ पूजा हर वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को होती है। इस वर्ष छठ पर्व की पूजा 10 नवंबर दिन बुधवार को की जावेगी छठ के व्रत में मुख्य रूप से सूर्य की उपासना और छठी मईया की पूजा करने का विधान है। मान्यता है कि छठ का व्रत करने से छठी मईया प्रसन्न होकर संतान को दीर्घायु का वरदान देती हैं। इसलिये संतान प्राप्ति और संतान की लंबी आयु अच्छे स्वस्थ जीवन व पारिवारिक सुख समृद्धि की कामना के लिये छठ का व्रत रखा जाता है। हालांकि बिहार , पूर्वी उत्तरप्रदेश तथा झारखंड में छठ पूजा का विशेष महत्व है आज कल छोटे,बड़े शहरों में भी हर्षोल्लास के साथ इसका भव्य आयोजन किया जाता है। अब यह पर्व एक संस्कृति बन चुका है और देश से लेकर विदेशों तक में छठ के प्रति आस्था देखने को मिलती है। इस व्रत को छठ पूजा , सूर्य षष्ठी पूजा , डाला छठ के नाम से भी जाना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार सतयुग में भगवान श्रीराम , द्वापर में दानवीर कर्ण और पांडवों की पत्नी द्रौपदी ने भी सूर्य की उपासना की थी।
भगवान सूर्य की आराधना क्यूं ?
छठ पूर्व में भगवान सूर्य की आराधना और छठी मैया की विधि विधान से पूजा का बड़ा महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार छठी माता को सूर्य देवता की बहन माना जाता हैं। कहा जाता है कि छठ पर्व में सूर्य की उपासना करने से छठ माता प्रसन्न होती हैं और घर परिवार में सुख शांति तथा संपन्नता के साथ सभी मनोकामनायें पूरी करती है।
हिन्दू धर्म में यह पहला ऐसा त्यौहार है जिसमें अस्ताचलगामी एवं उदयाचल गामी सूर्य की पूजा होती है। तिथि अनुसार छठ पूजा चार दिनों की होती है। छठ की शुरुआत चतुर्थी तिथि को नहाय खाय से होती है , पंचमी तिथि को लोहंडा और खरना होता है। उसके बाद षष्ठी तिथि को छठ पूजा होती है जिसमें सूर्यदेव को शाम का अर्घ्य अर्पित किया जाता है। फिर अगले दिन सप्तमी को सूर्योदय के समय में उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद पारण करके व्रत पूरा किया जाता है। इस वर्ष यह त्यौहार 08 नवंबर सोमवार से 11 नवंबर गुरुवार तक चलेगी। छठ पूजा की शुरुआत 08 नवंबर सोमवार को नहाय खाय के साथ होगी। इस दिन पूरे घर की अच्छे से साफ-सफाई की जाती है और स्नान के करने के पश्चात सूर्य को साक्षी मानकर व्रत का संकल्प लिया जाता है। इस दिन चने की सब्जी , चांवल , साग का सेवन किया जाता है। छठ पूजा के दूसरे दिन 09 नवंबर मंगलवार के दिन खरना होगा जो कि छठ पूजा का महत्वपूर्ण दिन होता है , इसे लोहंडा भी कहा जाता है। इस दिन पूरे दिन व्रत किया जाता है और छठ की तैयारियां होती हैं। शाम को नदी सरोवर पर कमर तक जाकर पानी में खड़े होकर अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। मिट्टी के नये चूल्हे पर आम की लकड़ी से आग जलाकर साठी के चांवल दूध और गुड़ से खीर बनाकर छठी मईया को अर्पित करने के बाद प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है। इसके बाद व्रती कुछ भी खाना-पीते नहीं हैं। खरना के अगले दिन छठ पूजा का मुख्य दिन होता है. इस दिन छठी मैया और सूर्य देव की पूजा की जाती है. इस साल छठ पूजा 10 नवंबर को है , इस दिन सुबह – शाम दोनो समय सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। छठ पूजा से अगले दिन छठ पूजा का समापन होता है जो इस बार 11 नवंबर को होगा , इस दिन पुन: नदी या सरोवर पर जाकर पानी में खड़े होकर उगते हुये सूर्य को अर्घ्य देकर पारण के बाद कठिन व्रत पूर्ण किया जाता है। इन चारों दिनों में सभी लोगों को सात्विक भोजन करने , जमीन पर सोने के अलावा और भी कई कड़े नियमों का पालन करना होता है। इन चारों दिनों में छठ पूजा से जुड़े कई प्रकार के व्यंजन, भोग और प्रसाद बनाया जाता है।
व्रत की सावधानियां —
ये व्रत अत्यंत सफाई और सात्विकता का है। इसमें कठोर रूप से सफाई का ख्याल रखना चाहिये। घर में अगर एक भी व्यक्ति छठ का उपवास रखता है तो बाकी सभी को भी सात्विकता और स्वच्छता का पालन करना पड़ेगा। व्रत रखने के पूर्व अपने स्वास्थ्य की स्थितियों को जरूर देख लें।