छत्तीसगढ़

फर्जीवाड़ा:पुलिस ने भी अभिलेखों की बगैर जांच किए साजा कोर्ट में चालान प्रस्तुत किये

मामला बेमेतरा जिले के साजा जनपद पंचायत का

संजु जैन बेमेतरा:लगभग तीन वर्ष पूर्व 11 फर्जी शिक्षाकर्मियों के विरुद्ध हुए एफआईआर में थाना प्रभारी साजा ने जनपद पंचायत साजा द्वारा दिये कूट रचित अभिलेखों को बिना परीक्षण के ब्यवहार न्यायालय साजा में चालान प्रस्तुत प्रस्तुत कर एक तरह से आरोपियों को कृत अपराध से बचाने का प्रयास किये है ताकि भविष्य में आरोपियों को साक्ष्य के आभाव में लाभ मिल सके जांच कछुवे की चाल से चलती रही सभी आरोपियों ने अपने बयान में नियुक्ति के समय आवेंदन मे खुद के द्वारा कूटरचित प्रमाण पत्र प्रस्तुत नही किये जाने का बयान लिखित में दिए है और पुलिस ने उसे मान भी लिया और आगे ये जानने की कोशिश भी नही कीये कि फर्जी प्रमाण पत्र किसने लगाया,मामले को देख रहे विवेचना अधिकारी ने नियुक्ति की प्रक्रिया को समझ नही पाया या जानबूझकर आरोपियों को लाभ दिया ये तो समय आने पर ही पता चलेगा नियुक्ति से लेकर जांच फिर मामला पुलिस में जाने के बाद भी प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा नियमानुसार कार्यवाही करने में कोताही बरती गई है पिछले 13 वर्षों से जानबूझकर कर फर्जी और चयन समिति को बचाने का असफल प्रयास किया जाता रहा हैआरोपियो द्वारा हमने अपने आवेंदन मे फर्जी प्रमाण पत्र नही लगाया कहकर दोष मुक्त नही हो सकते नियुक्ति की प्रक्रिया में दावा आपत्ति की नोटिस सार्वजनिक रूप से जनपद पंचायत में चस्पा किया गया था जिसमे अभ्यर्थियों द्वारा आवेंदन में सलग्न प्रमाण पत्रों के आधार पर अंक विभाजन वरीयता सूची(सलग्न प्रमाण पत्रों में पृथक पृथक अंक लाभ जिसमे 12 वी,बीएड,डीएड,एन सी सी खेल अनुभव विकलांगता आदि में अलग अलग अंकों का उल्लेख) के आधार पर चयन सूची जारी किया गया था तब अभ्यर्थियों ने जो प्रमाणपत्र नही लगाया था उसमें उसे अंक लाभ कैसे मिला, इस पर आपत्ति दर्ज न करना स्पष्ट रूप से उन प्रमाण पत्रों में मिले अंक लाभ पर इनकी सहमति थी या यह भी कह सकते है कि अभ्यर्थियों और चयन समिति की मिलीभगत थी जनपद द्वारा थाना को कूटरचित दस्तावेज देना और थाना प्रभारी द्वारा बिना परीक्षण के स्वीकार करना किसी बड़ी साजिस की ओर इशारा कर रही है

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