STATE TODAY|कॉलोनाइजर का कारनामा,गरीबों के लिए आरक्षित जमीन को बेच दिया साथ ही गॉर्डन की जमीन का भी कर दिया वारा न्यारा,सोनकर सिटी का है मामला,कलेक्टर से की गई शिकायत,जल्द कार्यवाही का कलेक्टर ने दिलाया भरोषा
मुंगेली/नवपदस्थ कलेक्टर के पदभार के बाद से मुंगेली की जनता बड़ी आशा भारी नजर से देख रही है कि अभी तक जितने भी प्रशासनिक अधिकारी आये वो कार्यवाही के नाम पर सिर्फ खाना पूर्ति करते रहे जबकि नियम कानून को ताक में रख कर कालोनाइजर अपने मन मर्जी से बिना कालोनाइजर एक्ट,टाउन एन्ड कंट्री प्लांनिग के माप दण्डों को दर किनार करते हुए अवैध कालोनी विकसित की गई है। सर्वसुविधायुक्त कालोनी का सपना दिखाकर प्लॉट बेचने वाले कॉलोनाइजर के कारनामे पूरे कालोनी वासी परेशान है।
आलम यह है कि मूलभूत सुविधा तो दूर कॉलोनाइजर ने कालोनी के गार्डन और गरीबों के लिए आरक्षित ईडब्ल्यूएस जमीन को भी नगरपालिका के अधिकारियों से सांठ-गांठ कर बेच डाला है।मामला बिलासपुर रोड स्थित सोनकर सिटी कालोनी का है. कॉलोनाइजर श्याम बिल्डकॉन ने नियम विपरीत गार्डन और गरीबों के लिए आरक्षित 15 प्रतिशत जमीन को बेच कर रजिस्ट्री तक करा दी है।यह खेल विगत 8 वर्षों से चल रहा है, लेकिन नगरपालिका ने इस मामले में केवल औपचारिकता ही निभाई है, क्योंकि नोटिस के अलावा कुछ नहीं किया गया. यहां तक इतना बड़ा कारनामा होने के बावजूद जिला प्रशासन ने मामले पर संज्ञान लेना जरूरी भी नही समझा।बता दे कि सोनकर सीटी के प्रोपाइटर मुंगेली नगरपालिका परिषद के अध्यक्ष सन्तुलाल सोनकर के पुत्र है.यही वजह है कि यह मामला सुर्खियों में है.सवाल ये है कि नगरपालिका ने अपने अधिकार से हटकर आखिर टातत्कालीन सीएमओ हरबंस सिंह ने बताया की इस मामले में मेरे पदस्थापना के दौरान जारी किया गया हस्ताक्षर मेरा नही है यह तस्तावेज फर्जी है साथ ही उन्होंने कहा कि किसी भी जांच के लिए मैं तैयार हूं।उन एन्ड कंट्री प्लानिंग के रिकार्ड में गार्डन व ईडब्ल्यूएस के लिए आरक्षित जमीन को बेचने की अनुमति कैसे दे दी. इसके अलावा जमीन बेचने के बाद रजिस्ट्री भी हो गई, और क्रेता के नाम नामांतरण भी हो गया।कॉलोनाइजर की इस करतूतों को क्रेता तब समझ पाए जब नगरपालिका से भवन निर्माण की एनओसी और बैंक लोन के लिए आवेदन किए. कॉलोनाइजर ने हाथों ठगे जाने के बाद अब पीड़ित न्याय के लिए चक्कर लगा रहे है, वहीं कालोनीवासी बताते हैं उनके साथ धोखेबाजी की गई है. उन्हें कॉलोनी को विकसित किए बना प्लाट बेचा गया है, जहां रिकार्ड में तो सबकुछ है, लेकिन धरातल में लोग मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं. यही नहीं आवासीय प्लॉट का कमर्शियल उपयोग किया जा रहा है, जो कालोनी वासियों के लिए मुसीबत बनकर रह गया है।
इस पूरे मामले पर कलेक्टर अजीत वसंत ने कहा कि सक्षम अधिकारी को जांच के लिए दिया जाएगा और जांच के बाद जो तथ्य आएंगे उस पर कार्यवाही की जाएगी।
तत्कालीन सीएमओ हरबंस सिंह ने सोशल मीडिया के माध्यम से बताया कि इस मामले में मेरे पदस्थापना के दौरान जारी किया गया हस्ताक्षर मेरा नही है यह तस्तावेज फर्जी है साथ ही उन्होंने कहा कि किसी भी जांच के लिए मैं तैयार हूं।