छत्तीसगढ़

STATE TODAY|सड़क निर्माण में बरती जा रही है लापरवाही,और कि जा रही है जमकर अनियमितता, जानिए क्या है पूरा मामला

प्रशांत सहाय,जशपुर/दमेरा चरईडाँड़ मार्ग के निर्माण में बरती गई अनियमितता व लापरवाही का दोषी कौन यह सबसे बड़ा सवाल लोगों के जहन में उठ रहा है।नियम विरुद्ध पेड़-पौधों की अंधाधुंध कटाई व मापदंड के विरुद्ध निर्माण कार्य पर दोषी कौन (ठेकेदार-विभाग या छोटे कर्मचारी ) सबसे बड़ा सवाल बन कर खड़ा हो गया है।इस मामले में जो स्थिति निर्मित हुई है और जिस प्रकार विभागीय जांच अब तक पूर्ण हुई है उस जांच प्रणाली पर सवालिया निशान उठ रहा है।
मिली जानकारी के अनुसार दमेरा-चरईडाँड़ मार्ग में नियम विरुद्ध पेड़-पौधों की अंधाधुंध कटाई की गई है,इतना ही नहीं मापदंड व डायग्राम के विरुद्ध निर्माण कार्य में भारी लापरवाही का मामला भी सामने आया है।इस कार्य में गुणवत्ता पर भी सवालिया निशान उठा है।इस गंभीर लापरवाही पर भारी शोर-शराबा व हंगामा के बाद आखिरकार जांच समिति तैयार कर जाँच का आदेश विभाग ने दिया है लेकिन जांच समिति पर लेटलतीफी व दोषियों को संरक्षण देने वाले गंभीर आरोप प्रारंभिक जांच में लगे जिसका प्रमाण विभाग के छोटे व निर्दोष कर्मचारियों को बलि का बकरा बना देने से मिला।जिसके बाद इस जांच व कार्यवाई पर सवालिया निशान उठने लगा साथ ही निष्पक्ष जांच का मांग भी तेज हुवा।जिसमें लोगों के द्वारा एक ही सवाल विभाग से किया जा रहा इस गंभीर लापरवाही पर जिम्मेदार कौन ठेकेदार-विभाग या छोटे कर्मचारी ??

मामले पर प्रकाश डालने और कार्य स्थल का मुआयना करने पर यह स्पष्ट प्रतीत होता है की यहाँ हजारों पेड़ों की हत्या की गई है,यहाँ आमजनों के विश्वास का ह्त्या हुवा,न्यूनतम राशि व निविदा राशि के मध्य 26 प्रतिशत राशि के अंतर को ख़त्म करने अतिरिक्त कार्य के नाम पर शासकीय पैसों के लिये कूटनीति भी रचते हुवे बड़े भ्रस्टाचार को जन्म दिया गया।इतना ही नहीं जंगल मार्ग उन्नयन के नाम पर नियमों,शर्तों व डायग्रामों की धाज्जियां भी खुलकर उड़ाया गया।इन सब मामले में विभाग व ठेकेदार संयुक्त रूप से अपनी सहभागिता निभाया है और मामला उजागर भी हुआ।लेकिन इन दोषियों पर कार्यवाई करने के बजाय लोक निर्माण विभाग ने अपने एक सब इंजीनियर को तो वहीँ वन विभाग ने बिट गार्ड पर सस्पेंड का गाज गिराया जबकि असली गुनहगार तो कार्यवाई से बाहर खुले रूप में भ्रस्टाचार को और भी बढ़ावा दे रहे हैं जिसका प्रमाण लोक निर्माण विभाग के ई ई डी दरश्यामकर के कार्यकाल के अंतिम दिन रिटायरमेंट से पूर्व देखने को मिला।जब 3 करोड़ रूपये भुगतान के लिये विभाग ने उच्च अधिकारियों के पास फाइल प्रस्तुत कर भुगतान के लिये बकायदा जुगाड़ भी खड़ा कर दिया।पुरे घटना क्रम में हजारों पेड़ों के हत्यारे,षड्यंत्रकारी व भ्रष्टाचारीयों पर कोई भी कार्यवाई नहीं किया गया है जबकि ये पर कार्यवाई का मांग कई बार स्थानीय जनप्रतिनिधि उठा चुके हैं।अब सवाल यह उठता है कि हजारों पेड़ों के हत्यारे,षड्यंत्रकारी व भ्रष्टाचारीयों एवं दोषियों को आखिरकार क्यों बचाया जा रहा,क्यों इन पर कार्यवाई करने से शाषन-प्रशासन व सरकार डर रही है,क्या इन पर कार्यवाई होगा या शासन-प्रशासन व सरकार भी इनके आगे नतमस्तक रहेगा यह तो आने वाला समय बतायेगा।फिल्हाल कार्यवाई का मांग तेज हुवा है इस मांग को दबाने कुचलने या कार्यवाई करने के जवाब का जिलावासियों को बेसब्री से इंतजार है।

इस कदर किया गया पैसों का बंदरबाट

लोक निर्माण के जिम्मेदार अधिकारी व ठेकेदार के मिली भगत से दमेरा-चरईडाँड़ मार्ग में शासन के पैसों का किस कदर बंदरबाट किया गया है यह जानना है तो एक बार इस सड़क पर अवश्य गुजरना होगा।यहाँ जंगल सड़क उन्नयन कार्य हेतु निविदा प्रक्रिया लोक निर्माण विभाग द्वारा संपन्न कराई गई,विभाग ने इस निविदा को 17.64 करोड़ रूपये में निकाला जिसे 26.55 प्रतिशत कम राशि में ठेका अम्बिकापुर के ठेकेदार योगेश जायसवाल ने लिया,विभाग व ठेकेदार के मध्य नंबर 42 डीएल/2018-2019 को एग्रीमेंट हुवा।इस एग्रीमेंट में ठेका कार्य 11 माह में पूर्ण किये जाने का एग्रीमेंट विभाग व ठेकेदार के मध्य हुवा,जिसमें परफॉर्मेस गारंटी हेतु 36 माह का समय तय हुआ।ठेकेदार ने कुल 12 करोड़ 96 लाख 33 हजार रूपये में उक्त ठेका को लेकर कार्य शुरू किया।
कार्य शुरू होने के बाद बिलो राशि के अंतर को मेंटेन करने भ्रस्टाचार व लापरवाही का अनोखा खेल शुरू हो गया।इस खेल में हजारों फलदार पेड़ों की बलि भी नियम विरुद्ध दे दिया गया।इतना ही नहीं ठेकेदार ने अब विभागीय अधिकारियों से सांठ गाँठ कर सबसे पहले निविदा में जारी सड़क मार्ग का नक्शा ही बदल दिया,इस नक़्शे में जंगल सड़क मार्ग का उन्नयन किया जाना स्वीकृत था।लेकिन ठेकेदार का कारनामा अब तेज गति से यहाँ से शुरू होता है सबसे पहले ठेकेदार ने पुराने सड़क के उन्नयन के बजाय इस सड़क से ही लगे दुसरा नया सड़क मार्ग का खोज व निर्माण दोनों कर दिया गया।इस कार्य में कुल 13 पुलिया का निर्माण किया गया है,इस पुलिया का चौड़ाई लगभग 8.5 मीटर बनाया जाना निर्धारित था लेकिन ठेकेदार ने कहीं 15 मीटर तो कहीं 20 मीटर से भी ज्यादा बड़ा बना डाला इतना ही नही सड़क का चौड़ाई लगभग 9 मीटर निर्धारित विभाग ने किया था इस पर भी मन मुताबिक निर्माण कार्य कराया गया।यहाँ 20 से लेकर 33 मीटर तक का चौड़ा सड़क तैयार कर दिया गया।इतना ही नहीं लगभग 60 मीटर के दायरे के अंदर 5 ऐसे पुलिया का निर्माण कर दिया गया जिसकी आवश्यकता भी नहीं थी।इस पुलिया को निर्माण करने में नियमों व शर्तों की इतनी अनदेखी की गई कि निर्माणाधीन पुलिया सड़क में टेढ़ा-मेढा तैयार हो गया।निर्माण कार्य में लापरवाही का आलम यह है कि रिटर्निंग वाल भी लंबे चौड़ाई में इस कदर निर्मित हुवा जिसका कई जगह आवश्यकता नहीं था।ठेकेदार ने मिट्टी कार्य को लंबा खिंच भ्रस्टाचार की ऐसी गाथा गढ़ी की सड़क का ऊंचाई भी नियम व शर्तों के विपरीत मन मुताबिक बढ़ा दिया,लंबाई व चौड़ाई बढाने के खेल में ठेकेदार ने अब तक कुल लगभग 10 करोड़ रूपये की राशि का खेला खेल डाला।जिसमें से 7 करोड़ रूपये की राशि का भुगतान विभाग ने कर दिया है,जबकि 3 करोड़ रुपये की राशि का बिल लगा हुवा है जिसका भुगतान कभी भी हो सकता है।लेकिन कार्य की दृष्टि से देखा जाये तो अभी 40 प्रतिशत कार्य ही हो सका है और 12 करोड़ 96 लाख 33 हजार रूपये की राशि में से 10 करोड़ रूपये की राशि का बिल भुगतान होने विभाग ने भेज दिया है।इस पुरे कार्य में लोक निर्माण विभाग के जिम्मेदार ई ई दरश्यामकर, तात्कालिक एसडीओ श्री गुप्ता सहित इंजीनियरों की भूमिका संदिग्ध रही है।भारी लापरवाही व भ्रस्टाचार में सहयोग करने का गंभीर आरोप विभाग के जिम्मेदार अधिकारी व कर्मचारी पर लगा है।मामला तूल पकड़ने और लापरवाही सामने आने पर विभाग के तात्कालिक ई ई दर श्यामकर ने ठेकेदार को धारा 14 के तहत टर्मिनेट कर मामले में सुरक्षित कर दिया है।जबकि मामला उजागर होने के बाद सामाजिक कार्यकर्ताओं वन प्रेमियों व जनप्रतिनिधि ने ठेकेदार के विरुद्ध कार्यवाई का मांग करते हुवे ठेकेदार को ब्लैक लिस्टेड करने का प्रस्ताव रखा था।परंतु विभाग ने ठेकेदार को बचाने अंदरूनी रूप से ऐड़ी चोटी का जोर लगा दिया है।अंदरखाने से जो जानकारी आ रही है उसमें विभाग ने ठेकेदार को अब तक 6 करोड़ का भुगतान कर दिया है और 3 करोड़ रुपये की राशि का भुगतान करने का पूरा खाखा भी तैयार कर लिया है,जिसके बाद मात्र 2 करोड़ 96 लाख 33 हजार रूपये की राशि ही शेष बचा है जिसमें आधे से भी ज्यादा का कार्य किया जाना है।जानकारी मिला है कि सिर्फ मिट्टी कार्य में ही लगभग 10 करोड़ रूपये की राशि खर्च कर दिया गया है जिसमें 13 पुलिया व रिटनिंग वाल भी शामिल है।अब सड़क को बनाने में अनुमानित 8 करोड़ रूपये की अति आवश्यकता है जिसका डिमांड व फाइल विभाग ने अतिरिक्त कार्य के रूप में उच्च अधिकारियों के समक्ष पेश किया है।इस खेल में सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि 12 करोड़ 96 लाख 33 हजार रूपये में लिये गये कार्य में 10 करोड़ का जो कार्य हुआ क्या विभाग उन कार्यों का पूरी ईमानदारी से परिक्षण किया,क्या विभाग ने निविदा में अंकित नक्शा व मानचित्र(ड्रा डिजाइन) के अनुरूप निर्माण कार्य कराया,क्या इस गड़बड़ी में विभाग भी सहभागी दिख रहा,क्या चंद रूपये की लालच में शासन के पैसों का बंदरबाट किया जाना सही है लोगों के जहन में सबसे बड़ा सवाल यही चल रहा है।

मिट्टी कार्य-पेड़ों की कटाई,चट्टान तोड़ने व मिक्सिंग कार्य जंगल में था वर्जित लेकिन यहाँ इन नियमों की भी उड़ी धाज्जियां

जानकारी मिला है कि ठेकेदार ने एग्रीमेंट नंबर 42 डीएल/2018-2019 विभाग के साथ किया है इसमें मिट्टी कार्य-पेड़ों की कटाई,चट्टान तोड़ने व मिक्सिंग कार्य जंगल के अंदर नहीं करना था,लेकिन यहाँ इन सभी नियमों की धाज्जियां जमकर उड़ाई गई।सारे नियमों को तांक में रखकर सबसे पहले यहाँ आम के हजारों फलदार व छायादार पेड़ों की अंधाधुंध कटाई की गई वह भी बिना वन विभाग के अनुमति के।यहाँ आम का भारी संख्या में पेड़ था जिसकी छाया में लोग थकने के बाद आराम करते थे तो वहीँ गर्मियों के मौषम में आम तोड़कर खाने का आनंद भी उठाते थे।परंतु आज आलम यह है कि भारी संख्या में इन पेड़ों की बलि दे दी गई है,जिसमें न वन विभाग से सहमति लिया गया और न ही वन संरक्षक समिति,ग्राम पंचायत समिति व जिला एवं ब्लाक स्तर पर प्रशासनिक अनुमति लिया गया।इसके बाद ठेकेदार व विभाग के मध्य और भी गहराये मधुर संबंध से दूसरे नियम की धाज्जियां उड़ाना शुरू किया गया।इसमें मानचित्र(नक्शा व खसरा) तथा जंगल मार्ग उन्नयन का मनमुताबिक निर्माण करना सामने आया।यहाँ ठेकेदार व विभाग ने निविदा में बिलो राशि(न्यूनतम दर) की खाना पूर्ति के लिये अपने मन से सड़क का डायग्राम तैयार किया,जिसमें ऊंचाई व चौड़ाई में भारी बढ़ोत्तरी कर दिया गया।इसके बाद मिट्टी कार्य के नाम पर 3 से 4 गुना चौड़ाई कार्य शुरू किया गया और मिट्टी भरा गया,ऊंचाई के मामले में भी ऐसा ही किया गया वह भी उस नये मन मुताबिक मार्ग पर जिसका आधा से ज्यादा हिस्सा डायग्राम में है ही नहीं।यहाँ पहले से बने मार्ग का उन्नयन के बजाय नया मार्ग ही अपने स्वार्थ व लाभ में बना दिया गया।अब मामला यहाँ जब प्रारंभिक रूप से तुल पकड़ा तो विभाग ने सबसे पहले पुराने व नये मार्ग को एक करने में 33 मीटर चौड़ा सड़क बनाने का षड्यंत्र रचा डाला,33 मीटर चौड़ाई मार्ग के लिये मिट्टी भरना भी शुरू कर दिया गया,यहाँ बाकायदा इस अनुरूप रिटर्निंग वाल भी तैयार हुआ और इस जगह पर ही मात्र 60-65 मीतर के दायरे में 5 पुलिया का भी निर्माण कर डाला गया।इसमें 1 पुलिया को छोड़ दें तो बाकी शेष 4 पुलिया की आवश्यकता ही नहीं थी।लेकिन जनाब ठेकेदार और विभाग ने तो न्यूनतम दर की राशि में और निविदा राशि के अंतर को ख़त्म करने के योजना का कसम जो खा लिया था।इसके बाद अगले नियम की धाज्जियां उड़ाने में जंगल मार्ग में चट्टान कटाई व मिक्सिंग कार्य का नाम सामने आता है जिसकी धाज्जियां भी खुलकर ठेकेदार व विभाग की मिली भगत से उड़ाई गई।

ठेकेदार को किया गया टर्मिनेट लेकिन पेड़ों के हत्यारे को सजा क्यों नहीं?

जानकारी मिला है कि स्थानीय विरोध व जनप्रतिनिधियों की आपत्ति के बाद जब भ्रस्टाचार का पोल दर-परत खुलना शुरू हुवा तो आनन-फानन में ठेकेदार को धारा 14 के तहत लोक निर्माण विभाग के ई ई डी दरश्यामकर ने टर्मिनेट का आदेश जारी कर दिया इस समय ठेकेदार को 7 करोड़ रूपये का भुगतान किया जा चुका था।लेकिन इसके बाद विभाग के ई ई ने एक और कारनामा कर डाला,अपने रिटायरमेंट के अंतिम दिन ई ई डी दरश्यामकर ने ठेकेदार का 3 करोड़ रूपये का रुका बिल पास करने उच्च अधिकारियों के समक्ष अतिरिक्त कार्य के नाम पर भुगतान करने फाइल प्रस्तुत कर भुगतान जल्द करने का जुगाड़ भी लगा डाला और निविदा की राशि व न्यूनतम दर की राशि के अंतर को हटाने रचे गये बड़े षड्यंत्र को अंजाम तक पहुंचा दिया।इतना ही नहीं यहाँ इस खेल में एसडीओ विजय गुप्ता भी अपना पूर्ण योगदान पुरे टीम के साथ देते दिखाई दिये,जानकारी यह भी मिला है की एसडीओ साहब का भूमिका जनप्रतिनिधियों के नाम पर ठेकेदार से अवैध वसूली के रूप में भी सामने आ रहा है,जिस पर जल्द ही एफआईआर की प्रक्रिया की जा सकती है।

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