मुंगेली

STATE TODAY|वैष्णव परिवार के द्वारा कराया जा रहा है श्रीमद भागवत कथा का आयोजन,आयोजन के पंचम दिन श्रीकृष्ण जन्मोत्सव पर झूम उठे श्रद्धालू

जितेंद्र पाठक,मुंगेली,लोरमी/पूज्य श्री नारायण महाराज जी के पावन सानिध्य में लोरमी में दिनांक 10 अप्रैल से 07 मई 2022 तक त्रिपाठी पेट्रोल पंप के सामने लोरमी सेवानिवृत्त शिक्षक पी.डी वैष्णव के यहाँ श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है।

श्रीमद् भागवत कथा के पंचम दिवस पर महाराज श्री कृष्ण जन्मोत्सव पर झूम उठे सभी श्रद्धालु पुतना उद्धार एवं श्री कृष्ण की बाल लीलाओं का सुंदर वर्णन भक्तों को श्रवण कराया। कथा के पंचम दिवस सैकड़ो की संख्या में भक्तों ने महाराज जी के श्रीमुख से कथा का श्रवण किया।

पूज्य श्री नारायण महराज जी ने कथा की शुरूआत करते हुए कहा कि आप लोग बड़े भाग्यशाली है जो आज भगवान श्री कृष्ण जन्मोत्सव बाल लीलाओं को श्रवण करेंगे।समस्त सम्पूर्ण श्रीमद भागवत महापुराण का जो प्रण है वो दशम स्कन्ध में भगवान श्याम सुन्दर की ऐसी मनोहारी लीला है जिन लीलाओं को श्रवण कर करके हमारा मन भगवान का दीवाना हो जाता है आज कथा में भगवान कृष्ण जन्मोत्सव सुंदर झांकी गोवर्धन भगवान झांकी एवं मटकी फोड़ झांकी के माध्यम के प्रस्तुत किया गया

पूज्य महराज जी ने पंचम दिवस की कथा प्रारंभ करते हुए कृष्ण जन्म पर नंद बाबा की खुशी का वृतांत सुनाते हुए कहा की जब प्रभु ने जन्म लिया तो वासुदेव जी कंस कारागार से उनको लेकर नन्द बाबा के यहाँ छोड़ आये और वहाँ से जन्मी योगमाया को ले आये। नंद बाबा के घर में कन्हैया के जन्म की खबर सुन कर पूरा गोकुल झूम उठा। महाराज ने कथा का वृतांत बताते हुए पूतना चरित्र का वर्णन करते हुए कहा की पुतना कंस द्वारा भेजी गई एक राक्षसी थी और श्रीकृष्ण को स्तनपान के जरिए विष देकर मार देना चाहती थी। पुतना कृष्ण को विषपान कराने के लिए एक सुंदर स्त्री का रूप धारण कर वृंदावन में पहुंची थी। जब पूतना भगवान के जन्म के ६ दिन बाद प्रभु को मारने के लिए अपने स्तनों पर कालकूट विष लगा कर आई तो मेरे कन्हैया ने अपनी आँखे बंद कर ली, कारण क्या था? क्योकि जब एक बार मेरे ठाकुर की शरण में आ जाता है तो उसका उद्धार निश्चित है। परन्तु मेरे ठाकुर को दिखावा, छलावा पसंद नहीं, आप जैसे हो वैसे आओ। रावण भी भगवान श्री राम के सामने आया परन्तु छल से नहीं शत्रु बन कर, कंस भी सामने शत्रु बन आया पर भगवान ने उनका उद्दार किया। लेकिन जब पूतना और शूपर्णखा आई तो प्रभु ने आखे फेर ली क्योंकि वो मित्र के भेष रख कर शत्रुता निभाने आई थी। मौका पाकर पुतना ने बालकृष्ण को उठा लिया और स्तनपान कराने लगी। श्रीकृष्ण ने स्तनपान करते-करते ही पुतना का वध कर उसका कल्याण किया।

भगवान जो भी लीला करते हैं वह अपने भक्तों के कल्याण या उनकी इच्छापूर्ति के लिए करते हैं। श्रीकृष्ण ने विचार किया कि मुझमें शुद्ध सत्त्वगुण ही रहता है, पर आगे अनेक राक्षसों का संहार करना है। अत: दुष्टों के दमन के लिए रजोगुण की आवश्यकताहै। इसलिए व्रज की रज के रूप में रजोगुण संग्रह कर रहे हैं। पृथ्वी का एक नाम ‘रसा’ है। श्रीकृष्ण ने सोचा कि सब रस तो ले चुका हूँ अब रसा (पृथ्वी) रस का आस्वादन करूँ। पृथ्वी का नाम ‘क्षमा’ भी है। माटी खाने का अर्थ क्षमा को अपनाना है। भगवान ने सोचा कि मुझे ग्वालबालों के साथ खेलना है,किन्तु वे बड़े ढीठ हैं। खेल-खेल में वे मेरे सम्मान का ध्यान भी भूल जाते हैं। कभी तो घोड़ा बनाकर मेरे ऊपर चढ़ भी जाते हैं। इसलिए क्षमा धारण करके खेलना चाहिए।

श्रीमद् भागवत कथा के षष्ठम दिवस पर रूक्मिणी विवाह, रास पंचाध्यायी का वृतांत सुनाया जाएगा..प्रमुख यजमान जयंत वैष्णव, राजेश वैष्णव दीपक वैष्णव शुभम वैष्णव मोनू सोनू मोनी वैष्णव है.. वैष्णव परिवार व समस्त वार्डवासी श्रद्धाभाव से भक्ति में लीन है

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button