STATE TODAY|नवीन गौ शालाओं को मिला पंजीयन प्रमाण पत्र,पशुधन मंत्री रविन्द्र चौबे सहित गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष महंत रामसुन्दरदास भी रहे मौजूद
पत्थलगांव — छग राज्य के कृषि,पशुधन मंत्री श्री रविंद्र चौबे एवं राज्य गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष रामसुंदर दास महंत के द्वारा आयोग में पंजीकृत दो नवीन गौशालाओं को प्रमाण पत्र प्रदान किए गए। प्रमाण पत्र मिल जाने के बाद इन गौशालाओं को भी गौ सेवा आयोग की ओर से अनुदान मिलने का रास्ता साफ हो गया है। इस मौके पर गौ सेवा आयोग के सदस्यों ने गौ सुरक्षा के लिए उपाय तथा इससे जुड़े अन्य विषयों पर विभागीय चर्चा भी की।
छग राज्य गौ सेवा आयोग की ओर से प्रदेश में दो नवीन गौ शालाओं का पंजीयन किया गया है। इनमें से एक बलौदा बाजार भाटापारा जिले के ग्राम बनसाकरा में पंजीकृत इंदरमन गौशाला है वहीं दूसरी कामधेनु गौशाला ग्राम डांेगाकोहरौद जिला जांजगीर चांपा के पामगढ़ विकासखंड में है। दोनों ही गौशालाओं को पंजीयन की प्रक्रिया पूरी होने के उपरांत प्रमाण पत्र प्रदान किए गए। छग के कृषि मंत्री रविंद्र चैबे और राज्य गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष रामसुंदर दास महंत के द्वारा यह प्रमाण पत्र दिए गए। इस मौके पर गुंडरदेही विधायक कुंवर सिंह निषाद,उपाध्यक्ष मन्ना लाल यादव, सदस्य शेखर त्रिपाठी,पुरूषोत्तम साहू एवं गौ सेवा आयोग की सचिव श्रीमती अजगल्ले,पंजीयक डाॅ देवरस, डाॅ अमित जैन तथा अन्य अधिकारी कर्मचारीगण उपस्थित रहे। गौ सेवा आयोग के सदस्य शेखर त्रिपाठी ने बताया कि गौ सेवा छग की संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है। छग के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के मार्गदर्शन में छग सरकार इस तथ्य से भली भांति परिचित है और इसके संरक्षण के लिए कृतसंकल्प है। इसे ध्यान में रखकर ही सरकार द्वारा नरवा,गरवा,घुरवा,बाड़ी जैसी महत्वपूर्ण योजना प्रारंभ की गई है। इसके माध्यम से गौवंश के संरक्षण के साथ ही लोगों को गांव में ही रोजगार उपलब्ध कराने पर जोर दिया जा रहा है वहीं गौठानों में निर्मित बर्मी कम्पोस्ट खाद से रासायनिक उर्वरकों का उपयोग सीमित करने में भी मदद मिल रही है जिसके परिणाम लोगों के स्वास्थ्य के साथ ही आम जनजीवन पर धीरे-धीरे देखने को मिलेंगे। उन्होंने बताया कि पंजीकृत गौशालाओं को आयोग के माध्यम से अनुदान राशि उपलब्ध कराई जाती है ताकि गौवंश का संरक्षण और सेवा कार्य में उन्हें परेशानी न हो। आयोग इसके लिए निरंतर प्रयासरत है कि पर्याप्त संख्या में गौशालाएं प्रदेश में संचालित हों ताकि गौवंश की सुरक्षा का महती कार्य निष्पादित किया जा सके।